Thursday 26 October 2017

यशोधरा, मैथिलीशरण गुप्त

यशोधरा, मैथिलीशरण गुप्त
लघुउत्तरीय प्रश्न
मंगलाचरण
प्र. 1. यशोधरा का प्रकाशन किस वर्ष हुआ और यह किस प्रकार की रचना है?
उ. मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित यशोधरा का प्रकाशन सन् 1932 ई. में हुआ था। यह गद्य और पद्य में होने के कारण चंपूकाव्य है। इसके साथ ही इसमें सिद्धार्थ के जीवन के एक हिस्से का चित्रण हुआ है, इस कारण यह खंडकाव्य है।
प्र. 2. यशोधरा में किसकी कथा है?
उ. यशोधरा में शाक्यवंशीय राजकुमार सिद्धार्थ के जीवन की एक घटना है। यशोधरा काव्य में उनके द्वारा घर-परिवार छोड़कर ज्ञान की खोज में जाने का वर्णन है। इस रचना में उनकी पत्नी यशोधरा के दुःख का वर्णन भी है, इस कारण इसका नाम यशोधरा रखा गया है।
 प्र. 3. मंगलाचरण में किसकी वंदना की गई है, और क्यों?
उ. खंडकाव्य की परंपरा के अनुसार यशोधरा में भी काव्य-रचना के प्रारंभ में वंदना की गई है। काव्य-रचना अच्छी तरह से संपन्न हो, इसके लिए मैथिलीशरण गुप्त ने विष्णु, राम और बुद्ध की वंदना की है। मैथिलीशरण गुप्त वैष्णव भक्त कवि माने जाते हैं। इस कारण उन्होंने विष्णु के अवतार राम और बुद्ध की वंदना यहाँ पर की है।
प्र. 4. कवि ने कहाँ पर जन्म देने की बात कही है, और क्यों?
उ. कवि ने इसी देश में, अर्थात् भारतदेश में बार-बार जन्म पाने की कामना की है, क्योंकि इसी भारतदेश में ही विष्णु और उनके अवतारों- राम और बुद्ध के नाम, रूप, गुण और लीलाओं को देखा जा सकता है। यह देश भक्ति के भाव से भरा हुआ है।
प्र. 5. अमिताभ किसको कहा गया है, और उनसे क्या माँगा गया है?
उ. यहाँ पर अमिताभ भगवान बुद्ध को कहा गया है और उनसे भक्ति माँगी गई है। क्योंकि भक्ति मिल जाने पर भुक्ति, अर्थात् भौतिक वस्तुओं के सुख और मुक्ति, अर्थात् जन्म-मरण के बंधन से मोक्ष अपने आप ही मिल जाएगा।
सिद्घार्थ
(1)
प्र. 6. सिद्धार्थ किस चक्र के घूमने की बात करते हैं? यहाँ पर नवनीत और तक्र किसे कहा गया है?
उ. सिद्धार्थ जन्म और मृत्यु के चक्र के घूमने की बात कहते हैं। यहाँ पर सुंदर और सुख भरे जीवन को नवनीत, यानि मक्खन कहा गया है और इस नाशवान शरीर के कष्टों को छाछ, यानि मट्ठा कहा गया है। दूसरे अर्थों में, आत्मा नवनीत है और नाशवान शरीर छाछ है।
 प्र. 7. सारे देवी-देवता भी किससे डरे हुए रहते हैं, और क्यों?
उ. सारे देवी-देवताओं को भी मृत्यु से डर लगता है। इस कारण मृत्यु से बचने के लिए उनसे भी प्रार्थना करना बेकार है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि जन्म-मृत्यु के चक्र से कोई भी नहीं बच सकता है।
 प्र. 8. सिद्धार्थ के द्वारा किसको नक्र के जैसा बताया गया है, और क्यों?
उ. सिद्धार्थ ने भवसागर रूपी नक्र कहकर संसार की तुलना घड़ियाल या मगरमच्छ (नक्र) से की है। जिस तरह से मगरमच्छ अपने नुकीले और बड़े दाँतों से अपना शिकार पकड़ लेता है, उसी तरह संसार रूपी घड़ियाल में मृत्यु रूपी उसके दाँत मनुष्य को पकड़ लेते हैं।
(2)
प्र. 9. सिद्धार्थ ने सबसे पहले जरा को देखा और उसे देखकर सिद्धार्थ के मन में क्या खयाल आया?
उ. सिद्धार्थ जब चुपके से अपने राजमहल से निकले, तो उन्होंने एक बूढ़े व्यक्ति को देखा। जब उन्होंने जरा, अर्थात् बुढ़ापे को देखा, तो सबसे पहले अपनी प्रिय पत्नी के बारे में सोचा। उन्होंने सोचा, कि क्या आने वाले समय में मेरी यशोधरा भी ऐसी ही हो जाएगी? क्या उसकी सारी सुंदरता नष्ट हो जाएगी?
प्र. 10. बुढ़ापे और बीमारी में मनुष्य की हालत कैसी हो जाती है?
उ. बुढ़ापे और बीमारी में मनुष्य उसी तरह से हो जाता है, जैसे कोई जानवर बँधा हुआ हो, और उसके सामने का चारा कोई दूसरा खा जाए। इसी तरह से आदमी मजबूर होता है और उसके सामने ही उनकी जिंदगी समाप्त होती रहती है।
(3)
प्र. 11. रंध्रपूर्ण घट से किसकी तुलना की गई है?
उ. इस जिंदगी की तुलना रंध्रपूर्ण घट से की गई है। जिस तरह से छेद वाला घड़ा भरा होकर भी खाली होता है, क्योंकि उससे पानी टपकता ही रहता है। इसी तरह आदमी की जिंदगी भी है, जो हर क्षण कम होती रहती है।
प्र. 12. सिद्धार्थ किसे खोजने की बात कहते हैं?
उ. सिद्धार्थ अपनी चेतना के ज्ञान को खोजने की बात कहते हैं, जिससे उनके खुद के कल्याण से पहले उनके अपने लोगों का कल्याण हो सके। इसके लिए वे भुवन-भावने (परमेश्वर) को भी डर से मुक्त होने के लिए कहते हैं।
(4)
प्र. 13. कपिल भूमि भागी और हिमालय का अधिवासी कौन है? सिद्धार्थ को किस बात का दुःख होता है?
उ. कपिलवस्तु का राजकुमार होने के कारण सिद्धार्थ अपने को कपिलवस्तु की भूमि का भागीदार या हिस्सेदार और हिमालय का निवासी कहते हैं। उन्हें यह दुःख होता है, कि वे तपस्या की भूमि हिमालय में जन्म पाकर भी सांसारिक सुखों को भोगने में लगे हुए हैं।
प्र. 14. पका और कच्चा फल तोड़-तोड़कर कौन खाता है?
उ. पका फल बूढ़ों को, और कच्चा फल युवाओं या बच्चों को कहा गया है। मृत्यु किसी को भी नहीं छोड़ती है। इस कारण कहा गया है कि मृत्यु रूपी जानवर कच्चे और पके फलों को तोड़-तोड़कर खाता रहता है और हम मजबूर होकर इसे देखते रहते हैं।
(5)
प्र. 15. सिद्धार्थ का मानस हंस किसको चुनने की बात कहता है?
उ. सिद्धार्थ का मानस-हंस मुक्ति या मोक्ष का फल चुनने की बात कहता है। जिस तरह से हंस केवल मोती चुनता है, उसी तरह सिद्धार्थ भी मुक्ति रूपी फल चुनने की बात कहते हैं। शुक्ति, अर्थात् मोती का खोल (सीप) भले ही कोई और चुनता रहे।
महाभिनिष्क्रमण
प्र. 16. ‘ओ क्षणभंगुर भव, राम-राम’ क्यों कहा गया है?
उ. सिद्धार्थ सांसारिकता को छोड़कर ज्ञान की तलाश में जाने का निश्चय कर लेते हैं। इसलिए वे इस क्षणभंगुर भव, अर्थात् एक क्षण में समाप्त हो जाने वाले नाशवान संसार को त्यागने की बात कहते हैं। यहाँ पर ‘राम-राम’ विदाई लेने के समय का अभिवादन है।
प्र. 17. सिद्धार्थ इस क्षणभंगुर भव को क्यों छोड़ते हैं?
उ. क्योंकि इस नाशवान संसार में दिखने वाली सुंदरता स्थाई नहीं है। बाहर से सुंदर दिखने वाली वस्तु भी अंदर से कंकाल जैसी है। यह लंबे समय तक अच्छी नहीं लग सकती है। संसार में लोग लोभ और मोह में लगे हैं। किसी को अपने बुरे परिणाम का पता नहीं है। सिद्धार्थ ने इस नाशवान संसार की सच्चाई को जान लिया है। इस कारण वे क्षणभंगुर भव को छोडने की बात कहते हैं।
प्र. 17. सिद्धार्थ ने पाम रोग की तुलना किससे की है?
उ. चर्म रोग को ही पाम रोग कहा जाता है। जिस तरह चर्म रोग में चमड़ी को खुजलाने में बहुत मजा आता है, मगर ऐसा करने से वह रोग फैलता जाता है, उसी तरह संसार के सुखों का उपभोग करने में बहुत मजा आता है, मगर वह रोग की तरह घातक होता है। अतः सांसारिक सुखों की तुलना यहाँ पर पाम रोग से की गई है।
प्र. 18. सिद्धार्थ किनसे विदा लेते हैं, गोपा कौन है?
उ. सिद्धार्थ सबसे पहले अपने घर (ओक) से विदा लेते हैं। इसके बाद अपने माता-पिता से, अपने भाई नंद से, और फिर अपनी पत्नी और पुत्र से विदा लेते हैं। यशोधरा का एक नाम गोपा भी है।
प्र. 19. सिद्धार्थ किसको घोड़ा लाने के लिए कहते हैं?
उ. सिद्धार्थ अपने सारथी छंदक को घोड़ा लाने के लिए कहते हैं। उनके घोड़े का नाम कंथक था।
प्र. 20. सिद्धार्थ किसकी तरह से घर छोड़ने की बात कहते हैं?
उ. सिद्धार्थ राम की तरह घर छोड़ने की बात कहते हैं। जिस तरह राम ने अपना राजपाट छोड़कर दुःखी लोगों का दुःख दूर किया था, उसी तरह सिद्धार्थ भी लोगों का दुःख दूर करने के लिए अपना परिवार और राजपाट छोड़ने की बात कहते हैं।
यशोधरा
(1)
प्र. 21. यशोधरा ने क्या गँवा दिया है?
उ. यशोधरा ने अपने सुंदर जीवन का सपना गँवा दिया है, क्योंकि सिद्धार्थ उनसे दूर चले गए हैं।
(2)
प्र. 22. यशोधरा को कैसे लगता है, कि सिद्धार्थ अभी भी उनके पास हैं?
उ. क्योंकि उनकी बायीं आँख फड़कती है, जो सिद्धार्थ के नजदीक होने का अहसास कराती है।
(3)
प्र. 23. यशोधरा को किस बात का डर था?
उ. एक बार सिद्धार्थ ने ध्यानमग्न होकर कहा था, कि वे गोपेश्वर (गोपा, अर्थात् यशोधरा के पति) के बजाय योगेश्वर क्यों न हो जाएँ? उन्होंने घर-परिवार छोड़कर योग-साधना के लिए जाने की बात कही थी। यशोधरा को यही डर था, जो सिद्धार्थ के जाने पर सच हो गया।
(4)
प्र. 24. यशोधरा ने नग्न लज्जा किसे कहा है?
उ. सिद्धार्थ के जाने के बाद यशोधरा अपने साज-सिंगार को बेकार मानती है और इसे ही नग्न लज्जा कहती है।
(5)
प्र. 25. यशोधरा को किस बात का दुःख होता है?
उ. यशोधरा को दुःख होता है कि सिद्धार्थ उन्हें बिना बताए ही चले गए। वे अपनी सखी से कहती हैं कि हम क्षत्राणी हैं, और अपने पतियों को खुशी-खुशी युद्ध के मैदान में भेज देती हैं। अगर सिद्धार्थ उन्हें बताकर जाते, तो वे सिद्धार्थ के रास्ते की बाधा नहीं बनतीं, बल्कि उन्हें खुशी-खुशी विदा करतीं। मगर सिद्धार्थ ने उन्हें यह मौका नहीं दिया।
(6)
प्र. 26. ‘प्रियतम! तुम श्रुति पथ से आये’ में किसके आने की बात कही गई है?
उ. यहाँ पर यशोधरा के जीवन में सिद्धार्थ के आने की बात कही गई है। यशोधरा कहती हैं, कि सिद्धार्थ! मैंने श्रुति पथ, अर्थात् अपने कानों से आपके गुण सुने थे, और इसी कारण आपको अपने हृदय में बसाया था। मगर मेरा दुर्भाग्य है, कि आपको अपने पास नहीं रख पाई और आप मेरी आँखों से दूर चले गए।
(7)
प्र. 27. यशोधरा को किस बात का विश्वास है?
उ. यशोधरा को विश्वास है, कि सिद्धार्थ एक दिन जरूर आएँगे। सारे संसार को अपनाने वाले सिद्धार्थ यशोधरा को आखिर कैसे छोड़ पाएँगे?
(8)
प्र. 28. यशोधरा मौन रहने के लिए क्यों सोचती हैं?
उ. यशोधरा सोचती हैं, कि सिद्धार्थ तो बिना बताए चले गए हैं। ऐसे में अगर सास-ससुर, अर्थात् माता महाप्रजावति और राजा शुद्धोधन इस बारे में पूछेंगे, तो वह क्या उत्तर देंगी? वह तय करती हैं, कि वह चुप ही रहेंगी और ताने-उलाहने सुनेंगी।
(9)
प्र. 29. यशोधरा किस प्रकार घर में आई थी?
उ. यशोधरा कहती हैं, कि मैं अपने इस घर में, अर्थात् अपनी उदार ससुराल में बिना घूँघट के आई थी, मगर मेरा दुर्भाग्य है, कि सिद्धार्थ ही मुझसे मुँह छिपाकर चले गए।
नंद
प्र. 30. नंद को किस बात का दुःख होता है?
उ. सिद्धार्थ के चले जाने पर सारी जिम्मेदारी उनके भाई नंद पर आ जाती है। नंद को दुःख होता है, कि सिद्धार्थ ने उन्हें बड़ा भार सौंप दिया है। वे इस भार को कैसे उठाएँगे? उन्हें भरोसा है कि सिद्धार्थ एक दिन आकर उनका कल्याण जरूर करेंगे।
महाप्रजावति
प्र. 31. महाप्रजावति को किस बात का दुःख होता है?
उ. सिद्धार्थ की माता महाप्रजावति को दुःख होता है, कि वे बिना बताए ही चले गए। उन्हें लगता है कि कैकेयी की तरह उनकी भी बदनामी होगी। उन्हें दुःख होता है, कि सिद्धार्थ की माता महामाया को परलोक में वे क्या जवाब देंगी?

शास्त्री, प्रथम वर्ष, प्रथम अधिसत्र https://bharatdiscovery.org/india/ मैथिलीशरण गुप्त शास्त्री, द्वितीय वर्ष, प्रथम अधिसत्र htt...